What is the Citizenship Amendment Bill 2019
नागरिकता (संशोधन)
अधिनियम 2019
Citizenship Amendment Bill, 2019 को समझने
के लिए आप को The
Citizenship Act, 1955 को
थोड़ा सा समझना होगा
| इस एक्ट के अनुसार एक
व्यक्ति भारत का नागरिक तब
हो सकता जब उसने भारत
में जन्म लिया हो या उसके
अभिभावक भारत में रहते हो या फिर
कोई व्यक्ति एक निश्चित समय
सिमा तक भारत में
रह रहा हो |
तथा इसके अनुसार वह व्यक्ति भारत
का नागरिक नहीं हो सकता जो
भारत में अवैध रूप से आ जाता
है जिसके पास कोई सरकारी कागज नहीं होता जैसे Passport or Visa, या फिर ऐसा
व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं
बन सकता जो सरकारी कागज
के साथ तो आया है
परन्तु उसकी वैधता समाप्त होने के बाद भी
भारत में रह रहा हो
|
Citizenship Amendment Bill, 2019 में इसी
चीज़ो को कुछ हद
तक संशोधित किया है|
Citizenship Amendment Bill, 2019 में
नए बदलाव
:-
Citizenship Amendment Bill को
10 दिसंबर को
राज्य सभा
तथा 11 दिसंबर
को बीजेपी
सरकार द्वारा
पास कराया
गया और
12 दिसंबर को
भारत के
महामहिम अर्थात
राष्ट्रपति द्वारा
हस्ताक्षर किया
गया | अभी
सरकार ने
तारीख की
घोषना नहीं
की है
की कब
से इसको
माना जायेगा
|
चलिए अब देखते है की इसको किस बदलाव साथ लाया गया है
1. नए
बिल के
अनुसार व्यक्ति
जो अल्पसंख्याक
वर्ग से
सम्बंध रखता
है जो
की हिन्दू
, सिख , बौद्ध
, जैन , पारसी
और क्रिस्चन
होगा और
पाकिस्तान , बांग्लादेश
और अफगानिस्तान
से आया
होगा बिना
किसी सरकारी
कागज के
वोह Passport (Entry into India)
Act, 1922 या फिर
Foreigners Act, 1946 के अंतरगर्त
अवैध या
घुसपैठिये नहीं
माने जायेंगे
|
2. जैसा की ऊपर बतया गया है ऐसे व्यक्ति भारत के नागरिक होने या बनने के लिए आवेदन कर सकते है और जैसे ही वो भारत के नागरिक बन जाते है उन पर से सभी लंबित करवाही हटा ली जाएगी |
3. 31st दिसम्बर 2014 तक या इस से पहले आये व्यक्ति चाहे वह हिन्दू , सिख , जैन , बौद्ध या फिर ईसाई हो जिन को धार्मिक आधार पर भारत में शरण लेने को मजबूर किया गया, उनके पास वैध कागज ना होने पर अवैध नहीं मन जायेगा तथा Passport Rules के त्तहत्त छूट मिलेगी |
4. इस बिल के तहत इन लोगो को फॉरनर ऐक्ट के तहट भी छूट मिलेगी यदि इनके सरकारी कागज की समय अवधि समाप्त हो गयी हो तो जैसे Passport or Visa|
5. इन अल्पसंख्यक समाज के लोगो को जो की पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से सम्बन्ध रखते है उनके लिए भारत की नागरिकता के लिए 11 साल की य भारत में रहने के अनिवार्यता को काम करे के 5 साल कर दिया है |
6. Citizenship Amendment Bill, 2019 के अंतर्गत आसाम, मेघालय और त्रिपुरा को नहीं लाया गया है और ना ही इनर लाइन परमिट के इलाको में इस बिल को लागू किया गया है जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम तथा नागालैंड|
(Inner Line Permit (ILP) is
an official travel document issued by the concerned state government to allow
inward travel of an Indian citizen into a protected area for a limited period.
It is obligatory for Indian citizens from outside those states to obtain a
permit for entering into the protected state.)
7. इस बिल में नए नियम भी जोड़े गए है जो की रद्दीकरण और रजिस्ट्रेशन को ले कर है जो लोग OCI होल्डर है और जिन्होंने फ़र्ज़ी तरीके से OCI ली है इसके लिए उन्हें 2 या इस से ज्यादा की सजा हो सकती है|
8. Citizenship Amendment Bill में उन मुस्लिमो को नहीं रखा गया है जो की पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से सम्बन्ध रखते है
Citizenship Amendment Bill, 2019 में
कमियां
आम नागरिको
और कुछ
बुद्धिजीवी वर्ग
के अनुसार
इस Citizenship
Amendment Bill, 2019 में कुछ
कमियाँ भी
जिसे ठीक
से इस
बिल में
नहीं रखा
गया है
| चलिए जानते
है वो
कौन कौन
सी कमियाँ
है|
1. कुछ
आम नागरिको
तथा बुद्धिजीवी
वर्ग के
अनुसार इसमें
उन लोगो
का ध्यान
नहीं रखा
गया है
जो गैर
मुस्लिम देशो
प्रताड़ित हो
कर भारत
में आये
है जैसे
श्री लंका
से भागे
हुए तमिल
लोग या
हिन्दू रिफ्यूजी।
2. ये
बिल तिब्बत
के बौद्ध
रिफ्यूजियों को
भी किसी
प्रकार का
कोई छूट
नहीं देता
जो चीन
से भाग
के आये
है।
3. इस
बिल में
रोहंगिया मुस्लिम
लोगो के
लिए भी
कोई बात
नहीं कही
गयी हैजो
म्यांमार से
भाग के
आये है।
इनको सरकार
वापस उधर
हे भेज
रही है।
विश्लेषण(Analysis)
यदि इसका
विस्लेषण किया
जाये तो
सरकार का
ये मनना
है की
चुकी पाकिस्तान,
बांग्लादेश, अफगानिस्तान
मुस्लिम बहुल
देश है
तथा कुछ
देश अपने
आप को
इस्लामिक देश
मानते है
अपने आपको
तो उधर
से किसी
मुस्लिम को
यहा के
नागरिक होने
का अधिकार
नहीं दिया
जा सकता
है।
परन्तु हम
इस बात
से भी
इंकार नहीं
कर सकते
की यदि
हिन्दू, बौद्ध,
सिख, ईसाई
जो की
अल्पसंख्यक है
ऊपर लिखे
देशो में
तो उन
हिन्दू समाज
का क्या
जो श्री
लंका में
शोषित हो
रहे है।
इसमें यह
भी साफ
साफ नहीं
है जो
बौद्ध जो
1950-1960 के दशक
में भारत
में आये
और आज
भी एक
रिफ्यूजी की
जिंदगी जी
रहे है।
इस तरह
देखे तो
ये बिल
के माध्यम
से सरकार
हिन्दू, सिख,
ईसाई, बौद्ध
जिनका का
पाकिस्तान, बांग्लादेश,
और अफगानिस्तान
में शोषण
हो रहा
है उनको
राहत दी
जा रही
है वही
दूसरी और
श्री लंका
के इन
अल्पसंख्यक वर्ग
को छोर
दिया गया
है।
धन्यवाद् मेरा पोस्ट पढ़ने के लिए
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नोट : ये जानकारी विभिंन्न वेबसाइट , मीडिया से ले कर संछिप्त रूप से यहा लिखी गयी है।
सम्पूर्ण जानकारी के लिए आप सरकारी वेबसाइट का सहारा ले सकते है। यहां दी गयी राय पर्सनल है तथा जानकरी का 100% होने की कोई गारंटी नहीं है क्युकी इसमें कुछ चेंज या कमिया हो सकती है।
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